Deedwana : नागौर के डीडवाना में गैंगरेप और उसके बाद पीड़िता की मौत के मामले में अब सियासी पारा गर्माने लगा है।
जयपुर में धरने पर बैठे परिजन, जहां मृतका का शव लेने को तैयार नहीं है तो वहीं, डीडवाना में भी सर्वसमाज का धरना जारी है।
डीडवाना के एक गांव में अधमरी हालात में मिली महिला ने गुरुवार को जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में आखरी सांस ली।
डीडवाना की यह निर्भया 7 दिन तक जिंदगी और मौत से जंग लड़ने के बाद आखिरकार अपनी जिंदगी की जंग हार गई।
लेकिन इस मौत के साथ ही कई राज उसके सीने में ही दफन रह गए. पीड़िता के परिजनों ने गैंगरेप की एफआईआर तो दी लेकिन पुलिस ने मामले में अब तक केवल दो लोगों को डिटेन किया है और एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है, जबकि एक नाबालिग को निरुद्ध किया गया है।
पुलिस के अनुसार, इन दोनों ने ही महिला के साथ अमानवीय तरीके से प्रताड़ित करते हुए रेप किया और फिर मरा हुआ समझ गांव के बाहर गोचर में पटक गए।
वहीं, मामले में पुलिस की भारी लापरवाही सामने आई, जिसमें परिजनों द्वारा नामजद आरोपियों पर शक जाहिर करते हुए रिपोर्ट दी थी।
पुलिस ने दो दिन तक ना तो आरोपियों को हिरासत में लिया और ना कोई पूछताछ की, वहीं, 9 तारीख की रात को सीओ गोमाराम द्वारा पूछताछ करने पर आरोपियों ने महिला की मौत के बाद गोचर में फेंकने की बात स्वीकार की।
लेकिन पुलिस ने रात में सर्च ऑपरेशन चलाने की बजाय सुबह मौके पर जाकर महिला को ढूंढा, जहां अधमरी हालात में महिला बरामद हुई, जिसे बगड़ अस्पताल में लाया गया, जहां से जयपुर रेफर कर दिया गया।
महिला के साथ वहशियों ने जो किया था, उससे डॉक्टर भी सन्न थे। महिला के प्राइवेट पार्ट्स और काटने के स्थानों पर कीड़े पड़ चुके थे।
चिकित्सकों ने 7 दिन तक आईसीयू में इलाज जारी रखा, लेकिन आखिरकार मौत के आगे निर्भया हार गई।
पुलिस के अनुसार, मामले में केवल दो ही आरोपी है, जबकि परिजन और ग्रामीणों को और भी लोगों पर शक है. पुलिस ने पीड़िता के बयान के बाद आगे की कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन अब किसके बयान होंगे।
वहीं, दलित समाज में घटना को लेकर पहले से ही रोष था. पुलिस पर मामले को दबाने के आरोप थे और अब पीड़िता की मौत के बाद यह रोष और बढ़ गया है।
मामले को लेकर कल मेघवाल समाज भवन में सर्वसमाज की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें उपखंड कार्यालय के बाहर धरना देने से पहले मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देने तय हुआ।
वहीं, आक्रोशित भीड़ जब कचहरी परिसर में प्रवेश करने लगी तो मौके पर मौजूद जाब्ते ने भीड़ को रोकने का प्रयास किया, जिससे भीड़ में आक्रोश और बढ़ गया।
धक्का मुक्की के बीच भीड़ जबरन कचहरी परिसर में प्रवेश कर गई और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए लोग वहीं धरने पर बैठ गए।
जमकर पुलिस प्रशासन और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। आक्रोशित भीड़ में शामिल राजनेताओं और मौके पर तैनात जसवंतगढ़ सीआई मुकुटबिहारी मीणा के बीच जमकर तनातनी हुई।
बाद में मौजूद लोगों ने उपखंड अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया. आज दूसरे दिन भी डीडवाना में धरना जारी रहा, जबकि जयपुर में भी परिजनों के साथ लोग धरने पर बैठे हैं।
वहीं, मामले में अब सियासत भी तेज हो गई है. मामले की जांच के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से एक तीन सदस्यीय टीम गठित की गई।
जिसमें रतनगढ़ विधायक अभिनेश महर्षि, भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष हरिराम रिणवा और पूर्व धोद विधायक गोवर्धन वर्मा शामिल है।
जांच दल ने धरना स्थल पर लोगों को आश्वस्त किया कि किसी भी हाल में पीड़िता के परिजनों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा और भाजपा इस मामले में पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करेगी।
इसके बाद दल के सदस्य पीड़िता के गांव पहुंचे, जहां उन्होंने मृतका के परिजनों से मुलाकात की और घटना से जुड़े हर तथ्य की जानकारी ली।
दल के सदस्य अभिनेश महर्षि ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि पुलिस की जांच शक के घेरे में है और कहीं ना कहीं पुलिस दबाव में काम कर रही है।
पुलिस की अब तक कि जांच रिपोर्ट को भी महर्षि ने मेनुपुलेटेड बताया है. तीन सदस्यीय जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट प्रदेशाध्यक्ष को सौंपेगी।
जिसके बाद भाजपा आगे की रणनीति इस मामले को लेकर बनाएगी. डीडवाना में स्थानीय स्तर पर चल रहे धरने में भी सोमवार को डीडवाना का बाजार सांकेतिक रूप से बंद रखने का फैसला लिया गया है।
जिसमें सभी व्यापार मंडलों का समर्थन लिया गया है. इस मामले में नागौर पुलिस अधीक्षक राममूर्ति जोशी ने भी एक आदेश जारी करते हुए मामले की जांच नागौर सीओ विनोद कुमार सीपा को सौंप दी है।
पूर्व जांच अधिकारी डिडवाना सीओ गोमाराम को इस मामले की जांच से अलग कर दिया गया है। नागौर एसपी ने इस मामले में आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर मामले में किसी भी एंगल पर किसी दोषी को नहीं बख्शा जाएगा, ऐसा आश्वासन दिया है और पीड़िता के परिजनों को नियमानुसार सहायता राशि मिलने की भी बात कही है।
एसपी ने दावा किया है कि पुलिस को अब तक जो सुराग लगे हैं, उसके आधार पर मामले में केवल दो ही आरोपी हैं।
जिसमें मुख्य आरोपी से अभी भी पूछताछ जारी है और हर एंगल से मामले की जांच कर रही है। बता दें कि यह मामला अब लगातार तूल पकड़ रहा है और इसमें सियासत भी शुरू हो गई है।
पुलिस पर मामले को दबाने के आरोप लग रहे हैं, जबकि पुलिस अपना दामन पाक साफ बता रही है।