गांधी परिवार के अलावा कोई उनके दिमाग में चल रहे आइडियाज की भनक तक नहीं ले सकता था।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का आज सुबह 71 साल की उम्र में निधन हो गया। वह एक महीना पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे।
उनका इलाज गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में चल रहा था और 15 नवंबर से वह आईसीयू में भर्ती थे. उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। आज इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
कांग्रेस के ‘चाणक्य’ थे पटेल
गुजरात के भरूच से आने वाले अहमद पटेल को सोनिया गांधी का सबसे करीबी माना जाता था. राजनीतिक गलियारों में उन्हें कांग्रेस का ‘चाणक्य’ कहा जाता था।
सोनिया गांधी को भारतीय राजनीति में स्थापित करने में अहमद पटेल की ही अहम रोल रहा है। जब 1977 में कांग्रेस पार्टी को आम चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था तो अहमद पटेल ने चुनाव जीता और संसद पहुंचने में कामयाबी हासिल की।
पटेल उस समय सबसे युवा सांसद बनकर दिल्ली आए थे. पटेल तीन बार लोकसभा सांसद (1977, 1980, 1984) और पांच बार राज्यसभा सांसद (1993, 1999, 2005, 2011, 2017) रहे।
2001 में बने थे सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार
1996 में उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। लेकिन सन् 2000 में उनका सोनिया गांधी के निजी सचिव वी जॉर्ज से मतभेद हो गया जिसके बाद उन्होंने इस पद को छोड़ दिया।
2001 में वह सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार बने. राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों की माने तो सोनिया गांधी के हर फैसले उनके राजनीतिक सलाहकार पटेल से होकर ही गुजरते थे। पटेल ही सोनिया गांधी को सलाह दिया करते थे।
इस बात को कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी की पटेल ने सोनिया गांधी को राजनीति में एक मुकाम हासिल करवाने में पर्दे के पीछे से एक चाणक्य के तौर पर काम किया और वे कांग्रेस के ‘किंगमेकर’ व पार्टी के ‘पॉवरफुल लीडर’ के तौर पर उभरे।
26 साल की उम्र में बने थे सांसद
21 अगस्त 1949 को गुजरात के अंकलेश्वर में अहमद पटेल का जन्म हुआ था. उन्होंने बीएससी की पढ़ाई श्री जयेंद्र पुरी आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज भरूच से की थी।
मात्र 26 साल की उम्र में 1977 में अहमद पटेल ने भरुच से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल कर सबसे युवा सांसद बन गए। अहमद पटेल की जीत ने इंदिरा गांधी और सभी राजनीतिक पंडितों को आश्चर्यचकित कर दिया था।
राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे
पटेल 1977 से 1982 तक गुजरात की यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के पद पर रहे। इसके बाद सितंबर 1983 से 1984 तक उन्होंने ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी की कमान संभाली।
वह जनवरी 1985 से 1984 तक प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे. अहमद पटेल ने जनवरी 1985 से 1986 तक ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जनरल सेक्रटरी का पद संभाला और फिर जनवरी 1986 में वह गुजरात में कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
वह इस पद पर 1988 तक रहे। 1991 में नरसिम्हा राव जब प्रधानमंत्री बने तो पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बना दिया गया और इस पद पर वे अब तक थे।
गांधी परिवार के बेहद करीबी थे पटेल
बता दें कि अहमद पटेल को 2004 और 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में यूपीए को जीत हासिल करवाने में सबसे अहम रणनीतिकार माना जाता है।
उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार के दौरान कई अहम फैसलों में निर्णायक की भूमिका अदा की थी। पटेल गांधी परिवार के सबसे करीबियों में से एक थे और गांधियों के बाद नंबर 2 माने जाते थे।
हमेशा लो-प्रोफाइल रहकर काम करने वाले अहमद हर किसी के लिए साइलेंट और सीक्रेटिव भी थे. गांधी परिवार के अलावा कोई उनके दिमाग में चल रहे आइडियाज की भनक तक नहीं ले सकता था।