COVID-19 के वैक्‍सीन की उम्‍मीद के साथ साथ वैक्सीन को लेकर खतरों का अंदेशा !

281
Corona havoc in China

कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि वैक्‍सीन के अपने खतरें भी हैं तो कुछ इस आशंका को सिरे से खारिज करते हैं।

कोरोना की वैक्‍सीन बनाने की दिशा में कुछ कंपनियां बेहद करीब पहुंच गई हैं। कहा जा रहा है कि कुछ महीनों में दुनिया को इस वायरस की वैक्‍सीन मिल सकेगी। 

यानि दुनिया को अब इस संक्रमक वायरस से जल्‍दी ही निजात मिल सकती है। लेकिन चिंता की बात यह है कि वैक्‍सीन को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं।

क्‍या वैक्‍सीन से कोई खतरा भी है?

वैक्‍सीन की उम्‍मीद के साथ वैक्सीन को लेकर खतरों का अंदेशा भी बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि फाइजर और मॉडर्ना नाम की कंपनि‍यां जो वैक्सीन तैयार कर रही है वे mRNA टेक्नोलॉजी से बने हैं।

इस तकनीक लेकर कई वैज्ञानिक सवाल उठा रहे हैं। एक वैज्ञानिक रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर का कहना है कि इस टेक्नोलॉजी में वैक्सीन सीधे-सीधे मरीज के जेनेटिक मटेरियल के साथ छेड़छाड़ करता है।

उस व्यक्ति के जेनेटिक मटेरियल को बदल देता है। यह प्रक्रिया अनैतिक है। इससे जो जेनेटिक नुकसान पहुंचेगा, उसे ठीक करना मुश्किल हो जाएगा। कैनेडी का यह भी कहना है कि वैक्सीन के लक्षणों का आप इलाज नहीं कर सकेंगे।

वहीं दूसरीह तरफ कई विशेषज्ञ कैनेडी की इस बात से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि वैक्सीन को क्लिनिकल ट्रायल्स के आधार पर लाइसेंस दिया जाता है, जिसमें शॉर्ट-टर्म सेफ्टी देखी जाती है।

इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करने की क्षमता देखी जाती है। इसके साथ ही यह भी देखा जाता है कि वह किसी वायरस से बचाने में सफल हो सकेगी या नहीं।

फाइजर/बायोएनटेक के ट्रायल्स में 43,538 लोगों को वैक्सीन लगाई गई। उनका दावा है कि अब तक कुछ लोगों को वैक्सीन लगाई और कुछ लोगों को प्लेसेबो दिया गया।

यह डोज अप्रैल और मई में ही दे दिए गए थे। लेकिन अब तक उन्हें कोई साइड-इफेक्ट नहीं हुए हैं।तो ऐसे में वैक्‍सीन को लेकर अब तक दोनों तरह की बातें सामने आ रही हैं।