Bamboo Farming Business Idea : भारत में बांस की मांग लगातार बढ़ रही है। यही कारण है कि सरकार भी अब किसानों को देश में बांस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
कई राज्य सरकारें किसानों को बांस की खेती के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही हैं। इसलिए अगर आप भी खेती को अपना पेशा बनाना चाहते हैं तो बांस की खेती कर सकते हैं।
बांस की खेती (Bamboo Farming) की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे बंजर भूमि पर भी किया जा सकता है। साथ ही इसमें पानी की भी कम जरूरत होती है। एक बार लगाने के बाद बांस के पौधे का उत्पादन 50 वर्षों तक किया जा सकता है।
बांस की खेती में बहुत अधिक प्रयास की आवश्यकता नहीं होती है। इन्हीं सब कारणों से किसानों का रुझान भी बांस की खेती की ओर बढ़ा है।
Bamboo Farming कैसे करें
बांस की खेती कश्मीर की घाटियों के अलावा कहीं भी की जा सकती है। भारत का पूर्वी भाग आज बांस का सबसे बड़ा उत्पादक है। एक हेक्टेयर भूमि पर 1500 बांस के पौधे उगाए जाते हैं।
पौधे से पौधे की दूरी 2.5 मीटर और लाइन से लाइन की दूरी 3 मीटर रखी गई है। बांस की खेती के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए।
भारत में बांस की कुल 136 किस्में हैं। इन प्रजातियों में सबसे लोकप्रिय हैं बम्बुसा ऑर्डिनेसी, बम्बुसा पॉलीमोर्फा, किमोनोबेम्बुसा फाल्काटा, डेंड्रोकैलामस स्ट्रीक्स, डेंड्रोकैलामस हैमिल्टन और मेलोकाना बेसीफेरा।
बांस के पौधों की रोपाई के लिए जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त होता है। बांस का पौधा 3 से 4 साल में कटाई योग्य हो जाता है।
Bamboo Farming के लिये सरकार देती है सबसिडी
राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत यदि बांस की खेती (Bamboo Farming) पर अधिक खर्च किया जा रहा है तो केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को आर्थिक राहत प्रदान करेंगी।
बांस की खेती (Bamboo Farming) के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता की बात करें तो लागत का 50 प्रतिशत किसानों और 50 प्रतिशत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
मध्य प्रदेश सरकार किसान को प्रति बांस के पौधे के लिए 120 रुपये की सहायता प्रदान कर रही है। यह राशि तीन साल में किश्तों में दी जाती है।
आप राष्ट्रीय बांस मिशन की आधिकारिक वेबसाइट nbm.nic.in पर जाकर ऑनलाइन सब्सिडी के लिए आवेदन कर सकते हैं।
राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत हर जिले में नोडल अधिकारी बनाया गया है। आप अपने नोडल अधिकारी से भी योजना से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
बांस की खेती से कमाई
रोपाई के चार बाद बांस की पहली कटाई होती है. एक अनुमान के अनुसार, बांस की खेती से 4 साल में ₹40 लाख की एक हेक्टेयर में हो जाती है।
इसके अलावा बांस की कतारों के बीच खाली पड़ी जमीन पर अन्य फसलें लगाकर किसान आसानी से बांस की खेती का खर्च वहन कर सकते हैं।
बांस की कटाई और छंटाई भी साल में दो-तीन बार करनी पड़ती है। जो छोटी टहनियाँ काटी जाती हैं उन्हें हरे चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
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