राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में पूर्ण जानकारी | RSS एक छोटा सा परिचय

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है। यह संघ या आरएसएस के नाम से अधिक लोकप्रिय है। इसका मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है। आज से 91 वर्ष पहले 27 सितम्बर 1925 को विजयदशमी के शुभ अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की...

संविधान बदलने की कोशिश और कितनी आसान है ‘घर वापसी’?

Trying to change the constitution and how easy is 'ghar wapsi'?
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आसमान छूती महंगाई और भयंकर फैली बेरोज़गारी से जनता का ध्यान भटकाने के लिये एक बार फिर सत्ताधारियों व उनके संरक्षक संगठनों द्वारा धर्म व धर्मस्थलों के मुद्दे उछाले जाने लगे हैं। राजनेताओं द्वारा नारा लगाया जा रहा है - “अयोध्या-काशी झांकी है -अभी...

नसीर साहब ! जब आपके घर में कॉकरोच आता है तो आप उसे ‘शरणार्थी’ कहते हैं क्या… मुगल भारत के निर्माता नहीं, कॉकरोच थे

Naseer sir! When a cockroach comes to your house, you call it a 'refuge'.
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आपने अ वेडनेसडे (A Wednesday) देखी है? 2008 में आई इस फिल्म की चर्चा इसलिए क्योंकि मुगलों को शरणार्थी और भारत का निर्माता बताने वाले अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने द वायर (The Wire) के करण थापर को दिए इंटरव्यू में अपनी इस फिल्म का जिक्र किया...

इस्लाम वन वे ट्रैफ़िक : इस्लाम में प्रेम मतलब धर्मपरिवर्तन !

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मंसूर अली खान पटौदी से शादी करने से पहले शर्मिला टैगोर ने इस्लाम कबूल किया था, जिसके बाद शर्मिला का नाम रखा गया आएशा बेगम ! प्यार सच्चा था तो इस्लाम कबूल करवाने की जिद किस लिए? और अगर इस्लाम कुबूल कर ही लिया है...

One Nation One Poll | भारत में सारे चुनाव एक साथ क्यों जरूरी हैं ?

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एक डर यह भी है कि सारे चुनाव एक साथ कराने से प्रांतीय पार्टियां कहीं खत्म न हो जाएं। संविधान दिवस पर यह मांग फिर उठी है कि भारत में सारे चुनाव एक साथ करवाए जाएं। यानी लोकसभा, विधानसभाओं, नगर निगमों और पंचायतों के...

भारत क्यों 800 वर्षों तक रहा गुलाम? फारूक अब्दुल्ला के बयान से मिला जवाब !

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भारत क्यों 800 वर्षों तक गुलाम रहा?- इसका उत्तर, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के हालिया वक्तव्य में मिल जाता है। एक टीवी चैनल द्वारा पूछे चीन संबंधी सवाल पर अब्दुल्ला कहते हैं, 'अल्लाह करे कि उनके जोर...

Journalist of India बदलाव चाहता है।

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आज देश बदल रहा है लेकीन आम आदमी के हालात नही बदल रहे हैं। आम आदमी अपनी मेहनत की कमाई से दो चार रुपये खर्च करके अखबार खरीदता है, खबर पढता है। लेकीन खबरोंपर विश्‍वास नही कर पा रहा है। हर खबर बिकाऊ है,...