मुंबई : देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक बार फिर कोरोना वायरस की चपेट में आ गया है। मुंबई में बुधवार को कोरोना वायरस के 15,166 नए मामले सामने आए हैं, जबकि शहर में पॉजिटिविटी रेट 25 फीसदी तक पहुंच गया है।
शहर में 87 प्रतिशत मामले बिना लक्षण हैं। मुंबई (Mumbai Coronavirus Update Today) में पिछले 24 घंटे में 3 लोगों की मौत हुई है। फिलहाल शहर में सक्रिय मामलों की संख्या 61,923 हो गई है।
मुंबई में पिछले दिन की तुलना में करीब 5 हजार अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। शहर में मंगलवार को कोरोना वायरस के 10,890 मामले सामने आए। वहीं, महाराष्ट्र में 26,538 नए मामले सामने आए हैं।
राज्य में 8 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 5331 लोग ठीक हो चुके हैं। महाराष्ट्र में सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 87505 हो गई है। वहीं राज्य में ओमाइक्रोन के मामले बढ़कर 797 हो गए हैं, जिनमें से 330 लोग ठीक हो चुके हैं।
पिछले कुछ दिनों में, बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई (BEST) सेवा से 66 कर्मी और अधिकारी संक्रमित पाए गए हैं, जो मुंबई और उसके उपनगरों में सार्वजनिक बसों का संचालन करती है।
मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने मंगलवार को कहा कि अगर यहां कोविड-19 के दैनिक मामले 20,000 का आंकड़ा पार करते हैं तो केंद्र सरकार के नियमानुसार शहर में लॉकडाउन लगाया जाएगा।
कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंचने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए रैपिड आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य कर दिया है। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले सप्ताह जारी दिशा-निर्देश सोमवार से लागू हो गए हैं।
संक्रमित यात्रियों को इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन
संशोधित आदेश में कहा गया है, ‘रैपिड आरटी-पीसीआर टेस्ट में संक्रमित पाए जाने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को एयरपोर्ट पर ही नियमित आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना होगा। सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जाएगा और यात्री को संस्थागत आइसोलेशन में भेजा जाएगा।
इस हफ्ते मुंबई में चरम पर पहुंच सकते हैं मामले
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के शोधकर्ताओं का मानना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच मुंबई में संक्रमण के मामले 6 से 13 जनवरी के बीच अपने चरम पर पहुंच सकते हैं और इसे कम होने में एक महीने का समय लग सकता है।
टीआईएफआर के स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी एंड कंप्यूटर साइंस के वरिष्ठ प्रोफेसर संदीप जुनेजा ने कहा कि फरवरी में संक्रमण के कारण सबसे ज्यादा मौतें हो सकती हैं।
लेकिन पिछले साल मार्च और मई के बीच संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान हुई मौतों की तुलना में 30 से 50 प्रतिशत कम होगी।