What is halal meat and jhatka meat : देश में एक बार फिर जर्क और हलाल मीट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, कई लोग इस मुद्दे पर अपना पक्ष और विपक्ष रख रहे हैं लेकिन शायद उन्हें इस मुद्दे की गहराई का इतना अंदाजा नहीं है।
तो इसे समझने के लिए आपको सबसे पहले यह समझना होगा कि झटका और हलाल क्या है? यह कैसे प्रचलन में आया और क्यों यह अब विवाद का कारण है।
हालही मे कर्नाटक में मार्च में शुरू हुआ हलाल और जर्क मीट को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब हिंदुओं से अपील की जा रही है कि मांस हिंदू दुकान से सिर्फ झटका ही लें।
अब बकरे की बलि की धार्मिक परंपरा पर बहस शुरू हो गई है। आइए जानते हैं कि हलाल मीट और झटका मीट में क्या अंतर है और दोनों धर्मों में इसे लेकर क्या नियम या प्रतिबंध हैं।
विवाद क्या है?
कर्नाटक से एक के बाद एक नए विवाद सामने आ रहे हैं, पहले हिजाब विवाद और अब हलाल और झटका विवाद बढ़ता ही जा रहा है।
शिवमोग्गा जिले के भद्रावती में हलाल मांस का विरोध हिंसक हो गया, जिसके बाद मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया।
वहीं, कर्नाटक में हिंदुत्व समूहों ने हलाल मांस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने हलाल मांस को आर्थिक जिहाद करार दिया है।
उन्होंने यहां तक कहा कि, जब मुसलमान हिंदुओं से गैर-हलाल मांस खरीदने से इनकार करते हैं, तो आप हिंदुओं को उनसे खरीदने के लिए क्यों कहते हैं?
हलाल और झटका मीट में क्या अंतर है?
हलाल मांस क्या है? हलाल एक अरबी शब्द है और इसे इस्लामी कानून के अनुसार परिभाषित किया गया है। इस्लाम में केवल हलाल मांस की प्रक्रिया का पालन करने की अनुमति है।
इसमें ढाबी यानी गले की नस और श्वासनली को काटकर जानवरों को मारना जरूरी माना गया है। जानवरों को मारते समय जीवित और स्वस्थ होना भी आवश्यक है।
इसमें जानवरों के शवों से सारा खून बहाया जाता हैस प्रक्रिया के दौरान विशेष आयतें पढ़ी जाती हैं जिसे तस्मिया या शाहदा कहा जाता है।
कलमा का पाठ करने और हलाल बनाने से पहले तीन बार गर्दन में छुरा घोंपने की मान्यता है, जबकि झटके में बकरी को एक झटके में मारने की बात कही जाती है, ताकि वह तड़प में न मरे।
जानवर के दर्द को लेकर हो रहा है बवाल
हलाल करने वालों का तर्क है कि इस तरीके से जानवर को दर्द कम होता है। सांस की नली को धारदार चाकू से काटने के बाद जानवर चंद सेकेंड में अपनी जान गंवा देता है, उसे दर्द भी नहीं होता।
वहीं झटका वालों का तर्क है कि एक झटके में किसी जानवर की जान लेने से उसका दर्द कम हो जाता है। जानवर को प्रहार से मारने से पहले जानवर को बहुत कष्ट होता है और हलाल से पहले जानवर को खाना खिलाया जाता है।
कौन सा मांस वैज्ञानिक रूप से अच्छा है?
विशेषज्ञों का मानना है कि हलाल प्रक्रिया में जानवरों को धीरे-धीरे मारने से उनके शरीर में मौजूद सारा खून निकल जाता है, इसमें झटके से ज्यादा पोषण होता है।
हलाल प्रक्रिया द्वारा मारे गए पशुओं के रक्त को पूरी तरह से हटाने से उनके शरीर में मौजूद रोग समाप्त हो जाते हैं और मांस खाने के योग्य हो जाता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मांस को नरम और रसदार बनाए रखने के लिए मैरीनेट करने के बाद पीएच स्तर लगभग 5.5 होना चाहिए। जबकि झटका प्रक्रिया से मारे गए जानवर के मांस का पीएच 7 के बराबर होता है।
झटका और हलाल भी मांस भंडारण से संबंधित हैं
सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मैसूर की एक रिपोर्ट बताती है कि हलाल विधि जानवर के शरीर से रक्त को पूरी तरह से निकालने में सक्षम है।
जबकि शरीर में रक्त के थक्के झटके में जमे रहते हैं। झटका मीट को स्टोर नहीं किया जा सकता है, जबकि हलाल मीट को स्टोर किया जा सकता है।
भारत विश्व का सबसे बड़ा मांस उत्पादक देश है ?
भारत मांस निर्यात के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है, जहां से चिकन से लेकर भैंस के मांस तक विदेशों में निर्यात किया जाता है।
उत्तर प्रदेश, जो भैंस के मांस का सबसे बड़ा उत्पादक है, देश के कुल मांस निर्यात में लगभग 65 प्रतिशत का सबसे बड़ा हिस्सा है। देश में कुल मांस प्रसंस्करण निर्यात इकाइयों का लगभग आधा यूपी में है।
ज़्यादातर मुस्लिम देश हैं मीट के ग्राहक
देश की इन बड़ी गोश्त को निर्यात करने वाली कंपनियों के ज़्यादातर ग्राहक मुस्लिम देश हैं, जहां हलाल मीट का प्रयोग होता है। देश से सालाना 42,50,000 मीट्रिक टन मांस का निर्यात होता है।
सिर्फ बीफ की बात करें तो यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर की रिपोर्ट के मुताबिक हमारा देश हर साल 18,50,000 मीट्रिक टन बीफ का निर्यात करता है।
आंकड़ों के मुताबिक अकेले 2017 में सिर्फ बीफ का कुल कारोबार 3 अरब डॉलर से ज़्यादा का था, इसमें बाकी मांस के निर्यात का आंकड़ा शामिल नहीं है।
देश का सबसे बड़ा मांस निर्यातक
देश अक्सर हलाल-झटका विवाद में रहकर सिर उठाता है, इसके अलावा बूचड़खानों को बंद करने की मांग भी अक्सर उठती रहती है।
आमतौर पर यह माना जाता है कि बूचड़खाने का संबंध एक खास समुदाय के लोगों से होता है। लेकिन हकीकत यह है कि भारत के दस सबसे बड़े बीफ निर्यात हिंदू समुदाय के हैं। इनमें से अल कबीर देश का सबसे बड़ा बूचड़खाना है।
देश के सबसे बड़े बूचड़खाने
1- अल कबीर, मेडक, तेलंगाना (मालिक- सतीश सब्बरवाल )
2- अरेबियन एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लमिटेड, मुंबई (मालिक-सुनील कपूर)
3- एमकेआर फ़्रोज़न फ़ूड एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली (मालिक – मदन एबट)
4- एबट कोल्ड स्टोरेजेज़ प्राइवेट लिमिटेड, मोहाली, पंजाब (निदेशक – सनी एबट)
5- अल नूर एक्सपोर्ट्स, मुजफ़्फ़रनगर, यूपी (मालिक – सुनील सूद) हैं।
6- एओवी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, उन्नाव, यूपी (निदेशक – ओपी अरोड़ा)
7- स्टैंडर्ड फ़्रोज़न फ़ूड्स एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, उन्नाव, यूपी (प्रबंध निदेशक-कमल वर्मा)
8- पोन्ने प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट्स, नमक्काल, तमिलनाडु (निदेशक – एस सास्ति कुमार)
9- अश्विनी एग्रो एक्सपोर्ट्स, गांधीनगर, तमिलनाडु (निदेशक – राजेंद्रन)
10- महाराष्ट्र फ़ूड्स प्रोसेसिंग एंड कोल्ड स्टोरेज, सतारा, महाराष्ट्र (मालिक – सन्नी खट्टर)