Stamp Paper Validity: स्टाम्प पेपर के कई महत्वपूर्ण कार्य हैं। आर्थिक लेन-देन हो, जमीन का लेन-देन हो या फिर कानूनी शपथपत्र, हर जगह स्टाम्प पेपर की बड़ी भूमिका होती है। कानूनी मामलों में इसका विशेष महत्व है।
संपत्ति खरीदने और बेचने में सरकार को कुछ शुल्क देना पड़ता है। इसका भुगतान स्टैंप ड्यूटी के रूप में किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार द्वारा भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 अधिनियमित किया गया है।
उसी के अनुसार यह पैसा दिया जाता है। हालाँकि, राज्य सरकारों के भी अलग-अलग नियम हैं, इसलिए शुल्क अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है।
एक सवाल यह भी पूछा जाता है कि क्या स्टांप पेपर की कोई एक्सपायरी डेट होती है। यह समीक्षा समान है, स्टांप शुल्क और भारत में इसकी वैधता के बारे में सब कुछ जानें।
बहुत से लोग भविष्य में उपयोग के लिए स्टैम्प खरीदते हैं। हालांकि, चूंकि कई दिनों से इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या स्टांप पेपर काम करेगा. इसलिए यह जानना जरूरी है कि आपके द्वारा लिया गया स्टांप पेपर कब तक स्वीकार किया जाएगा।
आप कोई भी कारोबार करते हो, या ना करते हो, आपने किसी न किसी काम के लिए जरूर स्टाम्प पेपर खरीदा होगा, इस्तेमाल भी किया होगा।
हम अपने कामकाज के हिसाब से विभिन्न राशियों जैसे एक सौ, दो सौ, हजार, दो हजार के स्टाम्प पेपर खरीदते हैं और अपने काम की आवश्यकताओं के अनुसार उसका उपयोग करते हैं।
लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हम किसी खास काम के लिए स्टांप पेपर खरीदते हैं, लेकिन बाद में किसी कारण से वह काम अपने आप कैंसिल हो जाता है, या स्टाम्प पेपर के बगैर ही हो जाता है तब वह स्टांप पेपर हमारे पास पड़ा रहता है।
100 रुपये का स्टांप पेपर हो, 200 रुपये का, हम आमतौर पर इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचते हैं। लेकिन अगर हमारे पास 500 रुपये, 1000 रुपये या उससे अधिक के स्टाम्प पेपर पड़े हैं, तो निश्चित रूप से हमें थोड़ी चिंता होगी।
तब हमारे दिमाग ये सवाल आता है, क्या हमे इसे कितने दिन रख सकते है, कब इस्तेमाल कर सकते है। क्या स्टाम्प पेपर के इस्तेमाल की एक समय सीमा होती है।
अगर हम उस दौरान उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं तो क्या इतना महंगा स्टांप पेपर कोरा कागज बनकर रह जायेगा? ऐसा करना कोई जुर्म तो नही? हमारा कोई नुकसान तो नही हो रहा है? आपको कोई परेशानी तो नहीं होगी। ऐसे कई सवाल सताते है।
तो आप निश्चिंत हो जाये, आज हम अपने लेख से स्टाम्प पेपर के उपयोग, उसकी वैधता के बारे में बताने एव जाननेवाले हैं। इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या शामिल किया है, इसलिए इस लेख को अंत तक पढ़ें और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।
स्टाम्प पेपर 2 प्रकार के होते हैं
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि स्टाम्प पेपर 2 प्रकार के होते हैं,
1) न्यायिक स्टाम्प
दीवानी न्यायालय या अन्य न्यायालयों में प्रयोग होने वाले स्टाम्प पेपर को न्यायिक स्टाम्प कहते हैं, इस स्टाम्प पेपर का उपयोग न्यायालय में न्यायालय शुल्क आदि के भुगतान के लिए किया जाता है।
इन स्टांप का उपयोग न्यायालय के बाहर किसी प्रयोजन के लिए नहीं किया जाता है, इनका उपयोग केवल न्यायालय के अंदर ही किया जाता है।
2) गैर-न्यायिक स्टांप
गैर-न्यायिक स्टाम्प (Non-Judicial Stamp) न्यायालय के बाहर उपयोग किए जाने वाले स्टांप पेपर होते हैं। आप खरेदी खत, रेंट अग्रिमेंट करने के लिये खरीदते हैं।
ऐसा करने के लिए उपयोग किए जाने वाले स्टाम्प पेपर गैर-न्यायिक स्टाम्प (Non-Judicial Stamp) पेपर होते हैं। व्यवहार में इनका प्रयोग अनेक कार्यों के लिए किया जाता है। हमारा आज का यह लेख भी इसी स्टाम्प पेपर से संबंधित है।
स्टाम्प पेपर एक करार के लिए इस्तेमाल किया हो
यदि 100 रुपये के गैर-न्यायिक स्टाम्प (Non-Judicial Stamp) पेपर पर समझौता किया जाता है, तो समझौता कब तक वैध होता है? यदि करार 200 रुपये या अधिक के स्टाम्प पेपर पर किया जाता है तो क्या वह अधिक समय तक वैध रहता है? ऐसे कई सवाल हमारे दिमाग को भ्रमित करते हैं।
एक वाक्य में उत्तर यह है कि करार स्टाम्प पेपर में उल्लिखित समय तक वैध है। यदि स्टाम्प पेपर में किसी कार्यकाल का उल्लेख नहीं है, तो यह हमेशा के लिए मान्य होता है।
स्टाम्प पेपर की वैधता
भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 के अनुसार, गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर की वैधता अवधि कहीं भी निर्दिष्ट नहीं है, इसलिए इसकी वैधता अवधि निर्धारित नहीं है और इसका उपयोग 6 महीने के बाद भी किया जा सकता है और इस पर जो लिखा है वह कानूनी होगा।
भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 की धारा 52 में केवल यह प्रावधान है कि यदि कोई स्टाम्प पेपर खरीद के छह महीने की अवधि के भीतर उपयोग नहीं किया गया है और उपयोग में नहीं है या अनुपयोगी है, तो ऐसे स्टाम्प पेपर को कलेक्टर स्टाम्प पेपर घोषित किया जाएगा। उस स्टाम्प पेपर को वापस करके हम अपना पैसा वापस पा सकते हैं।
यदि स्टाम्प पेपर क्रय करने के 6 माह पश्चात् भी गैर न्यायिक स्टाम्प पेपर में करार किया जाता है तो करार मान्य होगा। इसका मतलब है कि गैर-न्यायिक स्टांप का इस्तेमाल खरीद के 6 महीने बाद भी दस्तावेज बनाने के लिए किया जा सकता है।
इसलिए आपने जो स्टाम्प पेपर खरीदा है उसे सिर्फ इसलिए फेंकने की गलती न करें क्योंकि वह 6 महीने बाद समाप्त हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 कहीं भी स्टाम्प पेपर के उपयोग के लिए कोई समाप्ति तिथि निर्धारित नहीं करता है।
धारा 54 में केवल यह प्रावधान है कि एक व्यक्ति जिसके पास स्टाम्प पेपर है, जिसके लिए उसका कोई तत्काल उपयोग नहीं है (जो क्षतिग्रस्त या अनुपयुक्त या अनुपयोगी है), 6 महीने के भीतर ऐसे स्टाम्प पेपर को कलेक्टर को सौंप कर इसके मूल्य की वापसी की मांग कर सकता है।
धारा 54 में निर्धारित छ: माह की अवधि की शर्त केवल अप्रयुक्त स्टाम्प पेपर की लागत की वापसी प्राप्त करने के लिए है न कि स्टाम्प पेपर के उपयोग के लिए।
धारा 54 के अनुसार, जिस व्यक्ति ने स्टाम्प पेपर खरीदा है, उसे छह महीने के भीतर इसका उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है।
इसलिए, कार्यान्वयन की प्रस्तावित तिथि से छह महीने से अधिक समय पहले खरीदे गए दस्तावेजों के लिए स्टाम्प पेपर का उपयोग करने पर कोई रोक नहीं है।
नोट: उपरोक्त जानकारी उपलब्ध जानकारी का अध्ययन करने के साथ-साथ विभिन्न इंटरनेट स्रोतों का अध्ययन करके पब्लिश की गई है। आम जनता के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए उक्त जानकारी पब्लिश की।
इस जानकारी में किसी भी त्रुटि को मानवीय त्रुटि माना जाना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए विषयवार विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए।
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