Monkeypox Became Dangerous | अमेरिका में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का पहला मामला मिलने के बाद अब बेल्जियम, फ्रांस, इटली और ऑस्ट्रेलिया में भी मामले सामने आए हैं।
यानी अब तक यह बीमारी कुल 11 देशों में फैल चुकी है, जिससे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम भी हरकत में आ गई है. आइए 10 पॉइंट्स में जानते हैं कि मंकीपॉक्स क्या है, इसके फैलने का कारण क्या है और यह भारत के लिए कितना खतरा है।
1. मंकीपॉक्स चेचक की तरह होता है
यह एक वायरल संक्रमण है जो पहली बार 1958 में एक बंदी बंदर में पाया गया था। मनुष्यों में इसके संक्रमण की पुष्टि पहली बार 1970 में हुई थी।
यह ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों में पाया जाता है। 2017 में नाइजीरिया में मंकीपॉक्स का सबसे बड़ा प्रकोप था, जिसमें 75% रोगी पुरुष थे।
2. मंकीपॉक्स एक छूत की बीमारी है
रोगी के घाव से बाहर निकलने के बाद यह वायरस आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। इसके अलावा बंदर, चूहे, गिलहरी जैसे जानवरों के काटने या उनके खून और शरीर के तरल पदार्थ को छूने से भी मंकीपॉक्स फैल सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार ठीक से पका हुआ मांस न खाने या किसी संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी आप इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं।
3. मंकीपॉक्स अब तक 11 देशों में फैल चुका है
इसका पहला मरीज 7 मई को ब्रिटेन में मिला था। फिलहाल यहां कुल मरीजों की संख्या 9 है। वहीं, स्पेन में 7 और पुर्तगाल में 5 मरीजों की पुष्टि हुई है।
अमेरिका, इटली, स्वीडन, फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया में मंकीपॉक्स के 1-1 मामले सामने आए हैं। इसके अलावा कनाडा में 13 संदिग्ध मरीजों की जांच की जा रही है। बेल्जियम में शुक्रवार को दो मामलों की पुष्टि हुई है।
4. मंकीपॉक्स के अचानक फैलने के कारण
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफेसर जिमी व्हिटवर्थ ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा- कोरोना महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय यात्रा लंबे समय से बंद थी।
अब अचानक से पाबंदियां हटने के बाद से लोग अफ्रीकी देशों में आने-जाने लगे हैं। शायद इसीलिए मंकीपॉक्स के मामले सामने आ रहे हैं।
5. समलैंगिकों पर भारी
यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसए) का कहना है कि ब्रिटेन में अब तक पाए गए मंकीपॉक्स के अधिकांश मामले ऐसे पुरुष हैं जो अपनी पहचान समलैंगिक या उभयलिंगी के रूप में करते हैं।
मंकीपॉक्स को अभी तक यौन संचारित रोग नहीं माना गया है, लेकिन यह संभव है कि यह समलैंगिकों के बीच यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है। इसे देखते हुए एजेंसी ने समलैंगिक पुरुषों को भी चेतावनी दी है।
6. डब्ल्यूएचओ एक्शन मोड में
मंकीपॉक्स के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए WHO ने भी इससे जुड़ी तमाम जानकारियां अपनी वेबसाइट पर अपडेट कर दी हैं। इसके साथ ही एजेंसी प्रभावित देशों के सहयोग से संक्रमित लोगों की जांच भी कर रही है।
यूके में, समलैंगिक पुरुषों के बीच यौन संपर्क से यह बीमारी फैलती है या नहीं, इसकी जांच भी जारी है। संभावित मरीजों की पहचान के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी की जा रही है।
7. मंकीपॉक्स कितना खतरनाक है
डब्ल्यूएचओ के अनुसार मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है, जिसका संक्रमण कुछ मामलों में गंभीर हो सकता है। इस वायरस के दो स्ट्रेन हैं- पहला कांगो स्ट्रेन और दूसरा वेस्ट अफ्रीकन स्ट्रेन।
दोनों 5 साल से छोटे बच्चों का शिकार करते हैं। कांगो स्ट्रेन की मृत्यु दर 10% है और पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन की मृत्यु दर 1% है। ब्रिटेन में पश्चिम अफ्रीकी तनाव की पुष्टि हुई है।
8. मंकीपॉक्स के लक्षण
डब्ल्यूएचओ के अनुसार मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से लेकर 21वें दिन तक दिखाई दे सकते हैं। शुरूआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं।
इनमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, कंपकंपी, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर दाने दिखने लगते हैं, जो शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाते हैं।
संक्रमण के दौरान, यह दाने कई बदलावों से गुजरते हैं और अंततः चिकनपॉक्स की तरह पपड़ी के रूप में गिर जाते हैं।
9. भारत फिलहाल खतरे से बाहर
अभी तक भारत में मंकीपॉक्स का एक भी संदिग्ध मरीज नहीं है। इसलिए हमें इसका ज्यादा खतरा नहीं है। हालांकि, अभी भी सावधानी बरतने की जरूरत है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामले कैसे तेजी से बढ़े, इसकी जानकारी मिलने के बाद ही वे कुछ कह पाएंगे।
10. मंकीपॉक्स का इलाज
कई शोधों में पाया गया है कि चेचक का टीका मंकीपॉक्स के खिलाफ 85% तक प्रभावी है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एसोसिएशन (FDA) ने 2019 में Jynneos नाम के टीके को मंजूरी दी थी।
इसका उपयोग चेचक और मंकीपॉक्स दोनों के लिए किया जाता है। इसे यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी द्वारा अनुमोदित किया गया था