भारतीय परिस्थितियों के लिए संभवत: अमेरिकी कंपनी मोडेरना सबसे उपयुक्त है।
अमेरिकी दवा कंपनी और इसके पार्टनर बायोएनटेक एसई ने कहा है कि उनकी वैक्सीन ने सभी उम्र और वर्ग के लोगों को कोरोना से बचाया है और अभी तक कोई गंभीर सुरक्षा समस्या नहीं आई।
ट्रायल में करीब 44 हजार लोगों को टीका लगाया गया है। दवा कंपनी की ओर से घोषणा के बाद फाइजर के शेयर प्रीमार्केट ट्रेडिंग में 2.7 पर्सेंट उछल गए, जबकि बायोएनटेक के शेयरों में भी 7.3 फीसदी की तेजी आई।
हर बीतते दिन के साथ कोरोना वैक्सीन का इतंजार छोटा होता जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही दुनिया की बेसब्री भी बढ़ती जा रही है।
इस बीच फाइजर इंक ने कहा है कि इसका कोराना टीका तीसरे चरण के ट्रायल के अंतिम विश्लेषण में 95 फीसदी प्रभावी पाया गया है।
इसके साथ ही कंपनी के लिए अगले कुछ ही दिनों में फाइनल अप्रूवल के लिए अमेरिकी नियामकों के पास आवेदन देने का रास्ता साफ हो गया है।
फाइजर-बायोएनटेक डेटा के मुताबिक, ट्रायल में शामिल 170 लोग कोविड-19 से संक्रमित हुए। वैक्सीन लगाने के बाद कुल 8 लोग बीमार पड़े, जबकि प्लासीबो के बाद 162 लोगों को कुछ शिकायतें हुईं।
वैक्सीन ने के डोज ने बीमारी को गंभीर होने से भी रोका, एनालिसिस के मुताबिक सामने आए 10 गंभीर केस प्लासीबो ग्रुप से थे।
कंपनी की ओर से बताया गया है कि टीका 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में भी 94 फीसदी से अधिक प्रभावी है। अधिकतर लोगों ने जिन्हें यह टीका लगाया गया उन्होंने इसे आराम से सहन किया।
दूसरे डोज के बाद 3.7 पर्सेंट लोगों में अधिक थकान दिखा। पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस को लेकर उम्मीद जगाने वाली कई खबरें सामने आई हैं।
मॉडर्ना इंक ने भी 94.5 पर्सेंट प्रभावी टीके का दावा किया है तो इससे रूसी स्पूतनिक वी ने भी अपने टीके को 92 फीसदी असरकारक बताया है।
प्रभावी साबित हुआ
फाइजर-बायोएनटेक तीसरे चरण के अंतरिम परिणाम में 90 प्रतिशत, स्पूतनिक पांच 92 प्रतिशत और मोडेरना 94.5 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है।
इन संभावित टीकों के परीक्षणों ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही कोरोना वायरस का टीका मिल सकता है। इन तीनों में से कोई भी प्रोटीन आधारित नहीं है।
लेकिन भारतीय परिस्थितियों के लिए संभवत: अमेरिकी कंपनी मोडेरना सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इसके लिए अन्य संभावित टीकों की अपेक्षा उतने कम तापमान की आवश्यकता नहीं है।
फाइजर-बायोएनटेक टीका भारत के लिए अनुपयुक्त होगा, क्योंकि इसके भंडारण के लिए शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस कम तापमान की आवश्यकता है।
Pfizer, स्पूतनिक-5 भारत के लिए मुफीद नहीं
इससे वे तीन संभावित टीके संभवत: नकारे जा सकते हैं, जो पिछले कुछ दिन में 90 प्रतिशत से अधिक प्रभावी साबित हुए हैं।
फाइजर-बायोएनटेक तीसरे चरण के अंतरिम परिणाम में 90 प्रतिशत, स्पूतनिक पांच 92 प्रतिशत और मॉडर्ना 94.5 प्रतिशत असरदार साबित हुआ है।
वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट नहीं
जिन लोगों को वैक्सीन दी गई थी उनमें इसका अच्छा असर देखा गया और खास साइड इफेक्ट नहीं हुए। ज्यादा थकान की समस्या 3.7% वॉलंटिअर्स में दूसरी खुराक के बाद देखी गई।
लेकिन 2% से ज्यादा लोगों में सिर्फ यही एक गंभीर परेशानी देखी गई थी। इससे पहले ट्रायल का हिस्सा रहे वॉलंटिअर्स ने बताया था कि वैक्सीन का असर दरअसल कैसा रहा।
वॉलंटिअर्स ने बताया है कि वैक्सीन लेने का बाद उन्हें ‘हैंगओवर’ जैसा महसूस होता रहा। उन्हें सिर में दर्द, बुखार और मांसपेशिंयों में भी दर्द रहा जो फ्लू की वैक्सीन में होता है लेकिन यह दूसरी खुराक लेने के बाद और गंभीर था।
खत्म करेगी महामारी
इसे विकसित करने वाली टीम के अरबपति लीड साइंटिस्ट उगूर साहिन का दावा है कि वैक्सीन वायरस पर कड़ा प्रहार करेगी और महामारी को खत्म कर देगी।
साहिन का कहना है कि वैक्सीन का पूरा डेटा तीन हफ्ते में आ सकता है। उन्होंने कहा कि यह कोविड-19 को रोक सकेगी लेकिन क्या यह ट्रांसमिशन को रोक सकेगी या नहीं, इसका जवाब अभी नहीं मिला है।
रूसी वैक्सीन को चाहिए -20 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान
हरियाणा के अशोका विश्वविद्यालय में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेस के निदेशक जमील ने कहा, फाइजर-बायोएनटेक टीका भारत के लिए अनुपयुक्त होगा।
क्योंकि इसके भंडारण के लिए शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस कम तापमान की जरूरत है। वहीं, रथ ने कहा कि स्पूतनिक पांच को शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान पर रखने की जरूरत है।