भोपाल : यदि आप नगर निगम की सीमा के भीतर कोई संपत्ति खरीद रहे हैं, तो आप पंजीकरण के समय उसके संपत्ति कर, जल कर की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।
वहीं अगर पुनर्विक्रय के लिए कोई संपत्ति है, तो वह पुरानी और नई है, तो बिल्डर से संपत्ति आईडी लेनी होगी, जिसे नगर निगम द्वारा सत्यापित किया जाएगा। आप चाहें तो इन दोनों सुविधाओं का भुगतान प्रॉपर्टी खरीदते समय कर सकते हैं।
पंजीकरण विभाग ने हाल ही में अपनी साइट को अपडेट किया है और इसमें नगर निगम की संपत्ति कर भुगतान सुविधा को जोड़ा है।
बहुत से लोग जिन्होंने संपत्ति खरीदने के बाद वर्षों तक धर्म परिवर्तन नहीं करवाया, उनके लिए यह सुविधा बहुत उपयोगी होगी।
सरकार को टैक्स भी समय पर मिल जाएगा। आपको बता दें कि जल्द ही नगर निगम सीमा में बनी हर संपत्ति की एक आईडी होगी, जिनकी आईडी नहीं बनी है, उन्हें बनाने का काम निगम कर रहा है।
इससे जिले के 4113 स्थानों की जियोटैगिंग लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुकी है, ताकि संपत्ति की खरीद-बिक्री में पारदर्शिता और धोखाधड़ी को रोका जा सके।
इसका फायदा यह होगा कि रजिस्ट्रेशन के दौरान स्टांप के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। गली के अंदर प्लॉट बताकर कॉर्नर प्लॉट की रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी।
उसी पर कलेक्टर की गाइडलाइन का रेट भी अंकित होगा। जिसे गूगल मैप पर आसानी से देखा जा सकता है। हर संपत्ति चाहे वह नगरपालिका सीमा में हो या ग्रामीण क्षेत्रों में हो, सभी का एक अलग आईडी नंबर होगा।
रजिस्ट्रेशन करते समय यह आईडी नंबर बाद में बताना जरूरी होगा। इसमें से सभी तरह के टैक्स भी जोड़े गए हैं।
10 मिनट में 20 मिनट की रजिस्ट्री
संपदा II में रजिस्ट्री प्रक्रिया को और तेज किया गया है। इसमें स्लॉट बुक करने के बाद सर्विस प्रोवाइडर पर पूरी तैयारी के बाद 10 मिनट में रजिस्ट्रेशन कर ऑफिस से निकल सकेंगे।
अब इस प्रक्रिया को पूरा करने में 20 मिनट तक का समय लगता है। प्लॉट का कोना, सड़क के किनारे, कौन सा चेहरा गूगल मैप के मैप पर दिखाई देगा।
आप खुद भी कैलकुलेट कर पाएंगे कि रजिस्ट्री में कितनी स्टांप की जरूरत पड़ेगी। संपदा प्रभारी एवं जिला पंजीयक स्वप्नेश शर्मा ने बताया कि फिलहाल कलेक्टर गाइडलाइन के स्थानों की जियो-टैगिंग की जा रही है।