नई दिल्ली, 25 जनवरी: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सुविधाओं का वादा करना एक गंभीर मुद्दा है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र से इस पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव में कुछ सुविधाएं मुफ्त देने का दावा करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत जानना चाहती है कि इसे कानूनी रूप से कैसे नियंत्रित किया जाए।
क्या इन चुनावों के दौरान ऐसा किया जा सकता है? या अगले चुनाव के लिए ये निश्चित करे। क्यो की यह निश्चित रूप से एक गंभीर मुद्दा है क्योंकि मुफ्त बजट नियमित बजट से काफी आगे है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने पहले चुनाव आयोग से इसे रोकने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने को कहा था, लेकिन आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ केवल एक बैठक की और उनसे उनके विचार पूछे।
इसके बाद इसे ठंडे बस्ते में रख दिया है। कोर्ट इस मामले पर चार हफ्ते बाद फिर सुनवाई करेगी। बीजेपी नेता ने याचिका दायर की है बीजेपी नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव के समय मुफ्त चीजें देने की घोषणा मतदाताओं को गलत तरीके से प्रभावित करती है।
इससे चुनाव प्रक्रिया भी प्रभावित होती है और यह निष्पक्ष चुनाव के लिए अच्छा नहीं है। याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दल चुनावी फायदे के लिए कुछ भी वादा करते हैं।
याचिका में इस तरह के मुफ्त वादे करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने और उनके चुनाव चिन्हों को जब्त करने की मांग की गई है।