लखनऊ के चर्चित पबजी हत्याकांड के आरोपी 16 साल के बेटे ने पबजी को घटना का काल्पनिक पहलू बताया है। बाल सुधार गृह की काउंसिलिंग कमेटी के सामने उन्होंने कहा कि पबजी पुलिस की बनाई कहानी है, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
आरोपी बच्चे की 3 घंटे तक काउंसलिंग की गई। समिति का मानना है कि हत्या में एक तीसरा पात्र भी शामिल है, जो बच्चों के लिए बेहद भरोसेमंद है।
कमेटी के सामने बच्चे ने अपनी 16 साल की जिंदगी की बातें शेयर कीं, जो उसके लिए सबसे ज्यादा खुशी और दुख देने वाली थीं।
घटना के बारे में पूछे जाने पर उसने एक बार भी नहीं कहा कि उसने मां की हत्या की है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी मां की मौत का कोई अफसोस नहीं है। कमेटी ने बच्चे के हर जवाब को दैनिक भास्कर से साझा किया।
सवाल: आपने पबजी के लिए अपनी मां की हत्या की?
उत्तर : मैं पबजी बिल्कुल नहीं खेलता। मेरा पसंदीदा खेल क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज है। मैं ड्राइंग और आर्ट क्राफ्ट में भी अच्छा हूं। पबजी की कहानी पुलिस ने बनाई है। लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
प्रश्न: आप सबसे ज्यादा दुखी कब थे?
उत्तर : माँ ने कभी मेरे अच्छे कामों की तारीफ नहीं की। बस प्रताड़ित किया। जब वे यूकेजी में थे, तब उनके दादा का देहांत हो गया था। जब वह टोपी पहनकर स्कूल गया तो बच्चों ने टकला कहकर टोपी फेंक दी।
मुझे बहुत डर था कि अगर मैं बिना टोपी के घर चला गया तो मेरी माँ मुझे बहुत मार डालेगी। क्योकी टोपी उपर हि अटक गई, मैं तब बहुत दुखी था।
प्रश्न: आप सबसे ज्यादा खुश कब होते हैं?
उत्तर: जब पापा उसे घूमने के लिए बाहर ले जाते हैं। जब मैं यूकेजी में था, तब कक्षा के बच्चों ने मेरी टोपी उछाली। मैं तब भी बहुत खुश था जब मैंने 10 बच्चों को लाठियों से पीटा।
प्रश्न: आप जीवन में क्या बनना चाहते हैं?
उत्तर: मैं नेता बनूंगा… इसलिए मुझे पढ़ाई से ज्यादा खेल में दिलचस्पी है। राजनीति में आने का यह सबसे आसान तरीका है।
सवाल: नेता बनने के लिए पैसे कहां से लाएंगे?
उत्तर: इसलिए मैं क्रिकेट खेलता हूं। अगर क्रिकेट में करियर बनता है तो पैसा ही पैसा है। क्रिकेटर की राजनीति में भी एंट्री आसानी से हो जाती है।
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मां के हत्यारे को अपनी बहन की चिंता क्यों थी?
बाल सुधार गृह की परामर्श समिति के एक अधिकारी ने बताया कि बच्चा जिद्दी और महत्वाकांक्षी होने के साथ-साथ संवेदनशील भी है।
यही कारण है कि घर में मां का शव पड़ा हुआ था और उन्हें अपनी 10 साल की बहन की चिंता सता रही थी। वह खुद उसे खाना पका रहा था और खिला रहा था और गंभीरता से उसकी देखभाल कर रहा था।
अगर वह आपराधिक मानसिकता का होता तो बहन की हत्या कर घर से भाग जाता। क्योंकि वह अकेली प्रत्यक्षदर्शी थी।
घटना का वह तीसरा पात्र बड़ा स्मार्ट है
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक सामान्य इंसान के लिए तीन दिन तक लाश के साथ रहना मुश्किल है। 16 साल के बेटे में भी हिम्मत होती तो 10 साल की बेटी किसी भी हालत में इस स्थिति का सामना नहीं कर पाती।
इस बात की पूरी संभावना है कि उस समय कोई तीसरा व्यक्ति भी मौजूद था। जिस पर बच्चे बहुत भरोसा करते हैं। वह तीसरा किरदार बहुत स्मार्ट है। इसकी तह तक जाने के लिए बच्चे की काउंसलिंग की जा रही है।
पुलिस ने यह भी माना कि केवल PUBG ही कारण नहीं है
मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर देवेंद्र सिंह का कहना है कि इस घटना के पीछे सिर्फ PUBG ही वजह नहीं है। मृतक साधना, पुत्र व उसके पिता की कॉल डिटेल निकाली जा रही है। घटना के अन्य पहलुओं की जांच की जा रही है। जो भी तथ्य सामने आएंगे। उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस कमिश्नर ने कहा- हर बिंदु की जांच की जा रही है
लखनऊ के पुलिस कमिश्नर ध्रुवकांत ठाकुर का कहना है कि आरोपी बच्चे ने जो कुछ भी पुलिस को बताया है. उसी के आधार पर कार्रवाई की जा रही है।
लेकिन अभी और जानकारी सामने आ रही है। जिसकी जांच की जा रही है। घटना से जुड़े हर बिंदु की जांच की जा रही है।