नई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने गलवान घाटी में तिरंगा फहराए जाने पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘भारत की पवित्र भूमि पर अपना तिरंगा फहराना अच्छा लगता है।’
इससे पहले राहुल ने चीन की ओर से जारी किए गए प्रोपेगेंडा वीडियो के हवाले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दी थी, 2 जनवरी को उन्होंने प्रधानमंत्री को चुप्पी तोड़ने की चुनौती दी थी।
गलवान पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है।
चीन को जवाब देना होगा।
मोदी जी, चुप्पी तोड़ो!— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 2, 2022
यानी चीन के मुद्दे पर राहुल को तीन दिन के अंदर अपना बयान बदलना पड़ा. ऐसे में सवाल उठता है कि राहुल गांधी इतनी जल्दी चीनी प्रोपेगेंडा में क्यों फंस जाते हैं?
चीन ने जारी किया प्रचार वीडियो
🇨🇳China’s national flag rise over Galwan Valley on the New Year Day of 2022.
This national flag is very special since it once flew over Tiananmen Square in Beijing. pic.twitter.com/fBzN0I4mCi
— Shen Shiwei沈诗伟 (@shen_shiwei) January 1, 2022
दरअसल, चीन ने नए साल के मौके पर गलवान में अपना झंडा फहराने का दावा किया था। चीन की सरकारी मीडिया ने 1 जनवरी को एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, ‘नए साल के दिन 2022 में गलवान घाटी में चीनी राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। राष्ट्रीय ध्वज बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे एक बार बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर पर भी फहराया गया था।
गलवान पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है।
चीन को जवाब देना होगा।
मोदी जी, चुप्पी तोड़ो!— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 2, 2022
राहुल ने की जल्दबाजी
राहुल गांधी ने अगले दिन 2 जनवरी को इस पर प्रतिक्रिया दी और पीएम मोदी को निशाना बनाया। उन्होंने लिखा, ‘गलवान पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है। चीन को जवाब देना होगा। मोदी जी, चुप्पी तोड़ो!’
आखिर चीनी चाल में कैसे फंस गए राहुल
दरअसल, प्रॉपगैंडा वॉर में माहिर चीन ने नए साल पर वीडियो जारी कर दावा किया कि जिस गलवान घाटी में जिस जगह भारत और चीन के बीच खूनी झड़प हुई थी, वह इलाका अब उसका है।
भारत की पवित्र भूमि पर हमारा तिरंगा ही फहराता अच्छा लगता है।#JaiHind #Galwan pic.twitter.com/NljDZiYLJx
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 5, 2022
इस पर भारत में विपक्षी दल ने सरकार से सवाल पूछने शुरू कर दिए। राहुल भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने तुरंत सरकार को घेर लिया। हालांकि, उन्हें धैर्य का परिचय देते हुए चीन के रेकॉर्ड का ध्यान रखना चाहिए था।
उन्हें अपनी सरकार पर सवाल उठाने से पहले यह सोचना चाहिए था कि अनजाने में उनसे कहीं चीन का एजेंडा ही तो आगे नहीं बढ़ जाएगा क्योंकि चीन तो इसी तरह के भ्रमजाल में फांसने की चाल चलता रहता है।
पहले भी कठघरे में आ चुके हैं राहुल
राहुल गांधी को चीन के मामले में इसलिए भी अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए क्योंकि वो पहले भी सवालों के दायरे में आ चुके हैं। भारत में चीन के दूतावास ने जुलाई 2017 में राहुल गांधी के चीनी दूत से मिलने का दावा किया था।
हालांकि, कांग्रेस पार्टी की तरफ से इनकार करने के बाद दूतावास ने अपनी वेबसाइट से यह बात हटा दी, लेकिन उसने कोई सफाई पेश नहीं की। इससे राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी कठघरे में खड़ा हो गई थी।
तब पूछा जाने लगा था कि अगर राहुल गांधी ने चीनी दूत से मिले तो इसे छिपाने की क्या जरूरत है? दरअसल, उस वक्त कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी चीन को लेकर मोदी सरकार से सवाल कर रहे थे।
इस कारण सवाल उठने लगे थे कि राहुल गांधी एक तरफ चीनी दूत से चुपके-चुपके मुलाकात करते हैं और दूसरी तरफ सरकार पर निशाना साधते हैं, इसके पीछे उनकी या कांग्रेस पार्टी की क्या मंशा हो सकती है?