जयपुर। राजधानी जयपुर में डॉक्टरों ने 14 साल के बच्चे को नई जिंदगी दी है. डॉक्टरों ने जटिल सर्जरी कर बच्चे को असली जेंडर में जीने का अधिकार दिया है।
डॉक्टरों ने सर्जरी कर राजकुमारी को राजकुमार (बदला हुआ नाम) बना दिया है। जो अपने आप में अलग बात है। जयपुर के धनवंतरी अस्पताल में मरीज की जेंडर चेंज सर्जरी ने एक नई जिंदगी दी है।
बीकानेर निवासी यह मरीज जन्म से ही बालिका के रूप में रह रहा था, जिसे अब लड़का बना दिया गया है। सर्जरी के बाद डॉक्टरों का दावा है कि अब उसके सारे गुप्तांग पुरुषों की तरफ काम कर रहे हैं। वहीं, मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत सर्जरी का पूरा खर्च वहन किया गया है।
एक लड़की की तरह शरीर
बीकानेर में रहने वाला परिवार करीब 12 साल पहले जेके लोन के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डीडी सिन्हा को अपनी बच्ची दिखाने आया था। परिजनों ने बताया कि उम्र के हिसाब से उसके गुप्तांगों का विकास नहीं हो रहा है।
डॉक्टरों ने जब मरीज की जांच कराई तो पता चला कि उसके अंदरूनी गुप्तांग पुरुषों के हैं। जबकि बाह्य जननांग अविकसित महिला जननांग के समान है।
इस तरह की समस्या को मेडिकल भाषा में हाइपोजेनिटालिया कहते हैं। जिसमें लड़की की आवाज समेत अन्य गतिविधियां भी लड़कों की तरह ही होती हैं।
ऐसे में डॉक्टरों ने कैरियोटाइपिंग टेस्ट किया, जिसमें पता चला कि मरीज के अंडाशय, गर्भाशय आदि जैसे महिला आंतरिक यौन अंग नहीं हैं। लेकिन पेट के दोनों तरफ चने के आकार के अंडकोष पाए गए। तब पता चला कि मरीज लड़की नहीं लड़का है।
बीकानेर की राजकुमारी ऐसे बनी राजकुमार
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डीडी सिन्हा ने बताया कि पहले इलाज फिर चार ऑपरेशन किए गए। लगातार 12 साल के इलाज के बाद राजकुमारी को असली जेंडर मिला।
बच्चे को लंबे समय तक पुरुष हार्मोन थेरेपी पर रखा गया था। इस दौरान सभी पुरुष अंगों का विकास हुआ, लेकिन अविकसित लिंग के नीचे 1 छिद्रपूर्ण संरचना बनी रही।
इसलिए वर्ष 2018 में बच्चे के अंडकोष को उसकी स्थिति में वापस लाने के लिए ऑपरेशन किया गया। फिर 2019 में जननांग को सीधा कर पेशाब का छेद बना दिया।
साल 2021 में यूरिन होल को ऊपर की तरफ लाने के लिए ऑपरेशन किया गया था। जिसके बाद इस छेद को पूरी तरह से विकसित करने के लिए इसी साल 18 सितंबर को एक ऑपरेशन किया गया था।
अस्पताल के निदेशक डॉ आरपी सैनी ने बताया कि अब इस मरीज के सभी पुरुष जननांग सामान्य रूप से काम कर रहे हैं और शादी के बाद भी उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होगी.
चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभ
जेंडर चेंज सर्जरी में इस तरह का मरीज 10 लाख में से एक आता है। जिनके इलाज की प्रक्रिया बेहद जटिल है। साथ ही यह बहुत महंगा होता है।
डॉ. आरपी सैनी ने बताया कि इस तरह की सर्जरी में 8 से 10 लाख रुपये खर्च होते हैं। लेकिन इस मरीज की सर्जरी मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत की गई है। जिससे मरीज के परिजनों को किसी प्रकार का आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ा।
चूड़ी बेचने वाला परिवार
बच्चे के पिता ने बताया कि बीकानेर में वह सालों से ठेले पर चूड़ियां बेचने का काम कर रहा है. परिवार की आय का कोई दूसरा जरिया नहीं है। बच्चे के पिता के चार बच्चे हैं, उनकी परवरिश शायद ही हो पाती है। ऐसे में इलाज के लिए पैसे नहीं थे।