आतंकी मुर्तजा अब्बासी को मौत की सजा, गोरखनाथ मंदिर में किया था हमला, पागल बताकर बचाने की कोशिश

187
गोरखनाथ मंदिर पर हमला करने वाले मुर्तजा को फाँसी की सजा (फाइल फोटो)

Terrorist Murtaza Abbasi : गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर पर हमला करने वाले आतंकी अहमद मुर्तजा अब्बासी को फांसी की सजा सुनाई गई है। एटीएस-एनआईए कोर्ट ने सोमवार (30 जनवरी 2022) को उसे सजा सुनाई। उसने 4 अप्रैल, 2022 को ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे लगाते हुए मंदिर में घुसने की कोशिश की थी।

सुरक्षा में तैनात पीएसी जवानों पर धारदार हथियारों से हमला किया गया। हमले के बाद मुर्तजा को पागल घोषित कर बचाने की कोशिश भी की गई, जिसे डॉक्टरों ने खारिज कर दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुर्तजा अब्बासी मामले की सुनवाई गोरखपुर की NIA/ATS कोर्ट में हुई। मुर्तजा पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने (यूएपीए) और पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमले के लिए आईपीसी की धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

न्यायमूर्ति विवेकानंद ने एटीएस द्वारा किए गए दावों को दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त पाया। बताया जा रहा है कि आरोपी ने अदालत द्वारा अहमद मुर्तजा को उपलब्ध कराये गये वकील के साथ सहयोग नहीं किया। सुनवाई के दौरान मुर्तजा बार-बार मानसिक बीमारी का रोना रोते रहे।

लेकिन मुर्तजा अपनी मानसिक बीमारी को साबित करने के लिए कोर्ट में कोई सबूत पेश नहीं कर सके. कोर्ट में एटीएस ने मुर्तजा के हमले को ‘लोन वुल्फ’ अटैक बताया था। ऐसे हमलों में व्यक्ति अकेले घात लगाकर अपने लक्ष्य पर हमला करता है।

बताया जा रहा है कि एटीएस की जांच में यह बात भी सामने आई कि मुर्तजा भारत को इस्लामिक देश बनाने और दूसरे धर्मों के लोगों को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की फिराक में था।

क्या था पूरा मामला

मुर्तजा ने 4 अप्रैल 2022 को गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में अकेले ही धारदार हथियार से हमला कर दिया था। इस हमले को रोकने का प्रयास कर रहे पीएसी के दो जवान गंभीर रूप से घायल हो गए।

मुर्तजा ने पुलिसकर्मियों के हथियार छीनने की भी कोशिश की। हालांकि उसे मौके पर ही पकड़ लिया गया। पुलिस ने मुर्तजा की इस हरकत को आतंकवादी हमला करार दिया और मामले की जांच आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) को सौंपी गई।

पुलिस ने अपनी जांच में मुर्तजा को आईएसआईएस की विचारधारा से प्रेरित पाया था जो जाकिर नाइक के वीडियो देखा करता था। इस बीच उसके परिजनों ने मानसिक बीमारी का बहाना बनाकर उसकी हरकत पर पर्दा डालने की काफी कोशिश की थी।

इस मामले में बहस करते हुए, अभियोजन पक्ष ने मुर्तजा अब्बासी के मनोरोगी होने के दावों का खंडन किया, उन्हें उच्च शिक्षित बताया और उनके कार्यों को एक जानबूझकर आतंकवादी हमला बताया।