Uttar Pradesh Assembly Election 2022 | लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी (यूपी में भाजपा) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले दो चरणों के लिए अपने 107 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है।
इस सूची में सबसे अधिक ध्यान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खींचा, जिन्हें पार्टी ने टिकट दिया है। बीजेपी के इस फैसले के पीछे जानकार कई बड़ी वजहें बताते हैं।
गोरखपुर सदर विधानसभा सीट पर पिछले 33 साल से बीजेपी का कब्जा है। योगी आदित्यनाथ खुद गोरखपुर संसदीय सीट से 1998 से 2017 तक लगातार जीतते रहे हैं।
गोरखपुर क्षेत्र की हर विधानसभा सीट पर सीएम योगी की अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में उनके लिए यहां से जीतना बेहद आसान माना जा रहा है।
गोरखपुर सदर सीट से बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर योगी आदित्यनाथ गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर भी सीधी नजर रख सकेंगे। 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 41 सीटों में से ज्यादातर पर बीजेपी का कब्जा है।
योगी आदित्यनाथ को लखनऊ की गद्दी पर बैठाने में इन सीटों का बड़ा योगदान था। ऐसे में बीजेपी और योगी आदित्यनाथ आने वाले चुनाव में भी इन सभी सीटों को अपने कब्जे में रखने की पूरी कोशिश करेंगे।
गोरखपुर योगी का गढ़ रहा है
उत्तर प्रदेश में हुए पिछले दो विधानसभा चुनावों के नतीजों पर नजर डालें तो गोरखपुर सदर सीट पर पड़े कुल वोटों का 50 फीसदी बीजेपी के खाते में गया।
साल 2017 में भी बीजेपी के राधा मोहन दास अग्रवाल को 1,22,221 वोट यानी 55.85% वोट मिले थे। वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राधा मोहन दास अग्रवाल को 49.19% वोट मिले थे।
गोरखपुर सदर सीट का जातिगत समीकरण
गोरखपुर सदर सीट पर फिलहाल 4,53,662 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें 2,43,013 पुरुष और 2,10,574 महिलाएं हैं. इस सीट पर करीब 60 हजार ब्राह्मण हैं, जबकि 45 हजार से ज्यादा कायस्थ मतदाता हैं।
इसके अलावा यहां 15 हजार क्षत्रिय और करीब 30 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। इसके अलावा वैश्य, यादव, निषाद और दलित वोट भी अच्छी संख्या में हैं।
बहरहाल, गोरखपुर के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो यहां सीएम योगी की रणनीति के आगे ये सभी जातिगत समीकरण टूट रहे हैं और चुनाव में वही प्रत्याशी जीतता रहा है, जिसके सिर पर मठ का हाथ है।