Shri Krishna Janmabhoomi-Shahi Idgah Case : उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक जिला अदालत ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
जिला न्यायाधीश राजीव भारती 19 मई को अपना फैसला सुनाएंगे कि मामला विचारणीय है या नहीं। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
क्या है विवाद
सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री समेत छह अन्य कृष्ण भक्तों ने ठाकुर की ओर से सितंबर 2020 में मथुरा के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में दावा किया कि वर्ष 1969 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा समिति और शाही ईदगाह प्रजातानिया समिति के बीच हुआ समझौता पूरी तरह से अवैध था।
क्योंकि श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा समिति को इस तरह के किसी भी समझौते में प्रवेश करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं था।
लखनऊ निवासी अग्निहोत्री के मुताबिक, इस संबंध में संबंधित समझौता और अदालत द्वारा दिया गया फरमान पूरी तरह से अवैध है।
इसलिए इसे रद्द कर शाही ईदगाह को उसकी जमीन से हटा दिया जाए और उक्त सारी जमीन उसके असली मालिक श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को दे दी जाए, लेकिन कोर्ट ने उसकी मांग खारिज कर दी।
इसके बाद जिला जज की अदालत ने भी मामले को खारिज कर दिया। जिला शासकीय अधिवक्ता शिवराम सिंह तारकर ने बताया कि रंजना अग्निहोत्री आदि ने उसी वर्ष अक्टूबर में जिला न्यायाधीश की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी, जिस पर बुधवार को सुनवाई पूरी हुई।
निर्णय का प्रभाव
कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखते हुए फैसला सुनाने की तारीख 19 मई तय की है। उल्लेखनीय है कि रंजना अग्निहोत्री आदि द्वारा दावा प्रस्तुत करने के बाद से अब तक एक ही विषय पर मथुरा की विभिन्न अदालतों में एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, जिन पर लगातार सुनवाई चल रही है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि रंजना अग्निहोत्री के मामले पर फैसले का इन सभी मामलों पर सीधा असर पड़ेगा, क्योंकि अगर इस मामले को जिला न्यायाधीश द्वारा भी खारिज कर दिया जाता है, तो यह समान प्रकृति के अन्य मुकदमों को प्रभावित करेगा।
19 मई की तिथि निर्धारित
जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि गुरुवार को वादी की ओर से अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन व अन्य ने जिला न्यायाधीश की अदालत में बहस की।
शाही ईदगाह कमेटी के अधिवक्ताओं ने हमेशा की तरह उनके दावे का विरोध किया और अदालत से उनकी याचिका पर सुनवाई न करने का अनुरोध किया।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया और 19 मई को फैसला सुनाया। प्रतिवादी की ओर से पेश अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि अदालत में उन्होंने अपना पक्ष रखा है और कहा है कि अग्निहोत्री का मामला चलने योग्य नहीं है।