प्रयागराज : धर्म परिवर्तन करने वाले यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वसीम रिजवी का जेल से बाहर आना अब आसान नहीं होगा।
प्रयागराज समेत बाकी जगहों पर दर्ज मुकदमों में भी वसीम रिजवी को ज्यूडिशियल रिमांड पर लिए जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है।
सोशल एक्टिविस्ट और शिकायतकर्ता शौकत भारती की तरफ से हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की गई है।
पीआईएल में कहा गया है वसीम रिजवी के खिलाफ अगर पुराने मामलों में कार्रवाई की गई होती तो वह हरिद्वार की धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देकर देश का सांप्रदायिक माहौल खराब ना कर पाता।
कोर्ट के सामने रखी गई बात में साफ कहा गया है कि जेल से बाहर आकर वह फिर से भड़काऊ भाषणों के जरिए माहौल को खराब कर सकता है।
दाखिल की गई पीआईएल में कहा गया कि पुराने मामलों में भी वसीम रिजवी को रिमांड पर लेकर मुकदमों की कार्रवाई शुरू होनी चाहिए।
यूपी के राज भवन व सीएम ऑफिस से तकरीबन 2 साल पहले ही केस चलाए जाने की मंजूरी मिलने के बावजूद कुछ दिनों पहले तक वसीम रिजवी की गिरफ्तारी ना होने के मामले की भी जांच होनी चाहिए।
सोशल एक्टिविस्ट और शिकायतकर्ता शौकत भारती की तरफ से हाईकोर्ट में दाखिल पीआईएल में कहा गया कि जांच में दोषी पाए जाने वाले अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।
इस मामले में अब शुक्रवार को हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल दिया तो वसीम रिजवी की मुश्किलें बढ़ना तय है।
ब्यूरोक्रेट्स पर भी कस सकता है शिकंजा
मामला हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद वसीम रिजवी के साथ ही कई ब्यूरोक्रेट्स भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।
याचिकाकर्ता का आरोप कि वसीम रिजवी के देश के भगोड़े विजय माल्या से भी करीबी संबंध थे।
इस मामले में भी जांच होनी चाहिए. वसीम रिजवी ने कुछ महीनों पहले ही इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपनाया था।
अपना नाम बदलकर जितेंद्र नारायण त्यागी कर लिया था। वह हरिद्वार की धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने के मामले में जेल में बंद हैं।