ट्विटर के पाखंडी रवैये को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (28 मार्च 2022) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कमेंट किया।
कोर्ट ने कहा कि जब ट्विटर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट को सस्पेंड कर सकता है, तो उन अकाउंट्स पर कार्रवाई क्यों नहीं करता जो हिंदू देवी-देवताओं के बारे में अभद्र और आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं।
बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि ट्विटर कोई भी कठोर कदम तभी उठाता है।
जब वे खुद को कोई पोस्ट या सूचना संवेदनशील पाते हैं। जब दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो वे कार्रवाई नहीं करते।
एसीजे संघी ने कहा, “ये इस तरह एक्शन लेते हैं कि यदि इन्हें लगे कि चीज संवेदनशील तो उसे ब्लॉक कर दो और अगर न लगे तो आप अन्य जातियों या अन्य क्षेत्रों के लोगों के बारे में मत सोचो। अगर यही बात किसी और मजहब के खिलाफ़ जाती तो आप गंभीर होते।”
टिप्पणियों के बाद, अदालत ने ट्विटर से जवाब मांगा जिसमें उन्हें किसी अकौंट को स्थायी रूप से ब्लॉक करने की अपनी प्रक्रिया के बारे में बताना होगा। अब ट्विटर को जवाब में अपनी नीति बतानी होगी। अब इस मामले की सुनवाई 6 सितंबर को होगी।
हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है जिसमें उसे किसी अकाउंट को ब्लॉक करने के संबंध में ट्विटर पर अपने एसओपी की जानकारी देनी होगी।
एथिस्ट रिपब्लिक के विरुद्ध याचिका
बता दें कि यह याचिका कोर्ट में वकील आदित्य देशवाल ने दायर की थी, जिसमें मुख्य रूप से ट्विटर हैंडल एथिस्ट रिपब्लिक का जिक्र है।
याचिका में कहा गया है कि तमाम शिकायतों के बावजूद अकौंट को न तो सस्पेंड किया गया और न ही इसके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।
गौरतलब है कि कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में भी ट्विटर पर नाराजगी जताते हुए अपनी साइट से चार पोस्ट हटाने का निर्देश दिया था।
ऐसे में ट्विटर की ओर से पेश सिद्धार्थ लूथरा ने बताया कि उन्होंने कोर्ट के पिछले निर्देशों को मान लिया है। आपत्तिजनक सामग्री वाले ट्वीट हटा दिए गए हैं।
उनके खिलाफ कई राज्यों में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। लूथरा ने सुनवाई में कहा कि वह अकाउंट ब्लॉक नहीं करते हैं, कोर्ट के निर्देश के बाद ही ऐसा किया जाता है.
कोर्ट में नए आईटी एक्ट नियमों के बारे में बात करते हुए देशवाल ने कहा कि यह कहना गलत है कि सोशल मीडिया कोर्ट के दखल के बाद ही कार्रवाई करता है।
उन्होंने कहा कि ट्विटर-फेसबुक ऐसे कंटेंट को नहीं हटाते जो उनके नियमों के खिलाफ हो। देशवाल ने देखा कि एथिस्ट रिपब्लिक द्वारा इस तरह की हरकतें लगातार की जा रही हैं।
इसके फाउंडर आर्मिन नवाबी हैं जो इस हरकत का मजाक भी उड़ा रहे हैं। वह ईशनिंदा सामग्री प्रसारित करता है। वे स्वयं नास्तिक हो सकते हैं लेकिन किसी धर्म का अपमान नहीं कर सकते।
केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता हरीश वैद्यनाथ शंकर ने बताया कि ट्विटर और केंद्र का एक सोप है जो ट्विटर पर अकाउंट को ब्लॉक करने का काम करता है।
इसके मुताबिक 60 दिनों में अगर 5 से ज्यादा मैसेज नियम का उल्लंघन करते हुए आते हैं तो अकाउंट ब्लॉक कर दिया जाता है।
इस सुनवाई में वृंदा भंडारी ने एथिस्ट रिपब्लिक की ओर से कोर्ट में पेश होकर सुनवाई न होने की शिकायत की, उन्होंने कहा कि उन्हें ब्लॉक करने से पहले उनकी बात सुनी जानी चाहिए।
अदालत ने एथिस्ट रिपब्लिक को नोटिस जारी किया और भंडारी को इस खाते का विवरण वाला एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा और पूछा कि क्या इसका भारत में कोई व्यवसाय है या यहां कोई अधिकारी है।
पीठ ने आश्वासन मांगा कि हर विवादास्पद कंटेंट को हटा दिया जाएगा या उन्हें हटाने के निर्देश दिए जाएंगे और यह सब तब तक दोबारा अपलोड नहीं किया जाएगा जब तक कि अदालत इस पर फैसला नहीं ले लेती।